Tuesday 11 October 2022

मंसूरी फैडरेशन ऑफ इंडिया ने लालू प्रसाद को सम्मान पत्र दे ईश्वर से उनके स्वस्थ की कामना की

मो. रियाज़

नई दिल्ली। राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव से दिल्ली के पंडारा पार्क स्थित उनकी बेटी सांसद मीसा भारती के निवास पर मंसूरी फैडरेशन ऑफ इंडिया का एक दल राष्ट्रीय अध्यक्ष मेहंदी हसन मंसूरी व नेशनल जनरल सेक्रेटरी नियाज़ अहमद उर्फ पप्पू मंसूरी के साथ मिलने पहुंचा। मंसूरी फैडरेशन ऑफ इंडिया का यह दल लालू प्रसाद यादव के घर इसलिए पहुंचा था क्योंकि मंसूरी समाज की शान इस्राइल मंसूरी को बिहार सरकार में राजद ने अपने कोटे से सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री बनाया है।

इस्राइल मंसूरी को बिहार सरकार में मंत्री बनाए जाने पर मंसूरी फेडरशन ऑफ इंडिया ने लालू प्रसाद यादव से मिल उन्हें धन्यवाद देकर एक सम्मान पत्र दिया सम्मान पत्र में लालू प्रसाद यादव के लिए लिखा कि महाशय आप देश के महान नेता हैं और आपसे बड़ा कोई सेकुलर नेता नहीं है, आपने वंचित समाज को हमेशा न्याय दिलाया है, साथ ही सत्ता में हिस्सेदारी दी है। हमारे मंसूरी समाज की पूरे देश में 5% और मुस्लिम कौम में 20% की हिस्सेदारी है। इसके चलते आपने पहली बार मंसूरी बिरादरी के जनाब इस्राइल मंसूरी को कांटी विधानसभा से टिकट दिया और उन्हें आपकी वजह से जीत तो मिली ही आपने उन्हें बिहार सरकार में सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री भी बनाया जिसके लिए मंसूरी समाज आपका बहुत आभारी है और हमेशा आभारी रहेगा। मंसूरी फेडरेशन ऑफ इंडिया आपके जज्बे को सलाम करता है और आशा करता है की भविष्य में आपका साथ सदैव मिलता रहेगा।

मंसूरी फैडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव नियाज अहमद उर्फ पप्पू मंसूरी ने कहा कि लालू प्रसाद जी की तबीयत ठीक नहीं होने के कारण उनसे लंबी बातचीत नहीं हो सकी पर उन्होंने पूरे मंसूरी समाज को ऐसे ही कार्य करने के लिए कहा जैसे इस्राइल मंसूरी आपने कार्यक्षेत्र के साथ ही अपने समाज के लोगों को लेकर चल रहे हैं।

पप्पू मंसूरी ने आगे बताया कि इस मौके पर मंसूरी समाज की आन बान शान इस्राइल मंसूरी भी साथ थे। इस दल का नेतृत्व मंसूरी फैडरेशन ऑफ इंडिया के नेशनल प्रेसिडेंट महेंदी हसन ने किया। उनके साथ नेशनल जनरल सेक्रेटरी नियाज़ अहमद उर्फ पप्पू मंसूरी, दिल्ली प्रदेश मीडिया प्रभारी यूसुफ मंसूरी, सेक्रेटरी अब्दुल रहमान, इनाम मंसूरी, जनाब आर डी खान साहब, संगम बिहार टीम से बशारत मंसूरी, रशीद मंसूरी, इशाक मंसूरी। गांधी नगर विधान सभा से इसाक मंसूरी, नौशाद मंसूरी, नबीजन मंसूरी, दीपक शर्मा, सदरे आलम, मंसूरी के अलावा काफी तादात में मंसूरी समाज के लोग शामिल थे।


 

मंसूरी फैडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष मेहंदी हसन मंसूरी ने लालू प्रसाद यादव को इस्राइल मंसूरी को कांटी विधानसभा से टिकट देने और उन्हें बिहार सरकार में सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री बनने के लिए आभार जताया और उनके जल्द स्वस्थ होने की ऊपर वाले से प्रार्थना की।achments area


Monday 10 October 2022

11-10-2022 To 17-10-2022 (15.22)









 

करीब 2 महीने से पत्नी की तलाश में भटक रहा है पति, पुलिस अफसरों से पति ने लगाई गुहार - बच्ची को उसकी मां से मिलवा दो

 दिलीप यादव

उत्तर पूर्वी दिल्ली। शास्त्री पार्क थाना क्षेत्र के शास्त्री पार्क ए-ब्लॉक, गली नंबर 9 के घर से सामान लेने मार्केट के लिए निकली 35 वर्षीय लिबगा देवी घर वापस नहीं लौटी। काफी खोजबीन करने के बाद भी जब पता नहीं चला तो पति हरदेव ने शास्त्री पार्क पुलिस को इसकी सूचना दी तो पुलिस ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की। लिबगा देवी करीब 2 महीने पहले लापता हुई है पर उसका आज तक कोई सुराग नहीं लगा है। महिला का पति हरदेव अपनी चार वर्षीय बेटी देवांशी के साथ थाने में लगातार चक्कर लगा रहा है पर उसे आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिल रहा है। बीते रोज भी हरदेव थाने पहुंचा और पुलिस अधिकारियों से गुहार लगाई कि उसकी पत्नी को करीब 2 महीने होने वाले हैं लेकिन उसका अभी तक कोई सुराग नहीं लगा है। पुलिस अधिकारियों से उसने पत्नी को ढूंढ कर बेटी से मिलवाने की गुहार लगाई है। हरदेव ने बताया कि बेटी देवांशी मां की याद में रोती रहती है, लेकिन उसकी पत्नी का कोई सुराग नहीं लग रहा है। इस संबंध में पुलिस को मामला प्रेम-प्रसंग का लग रहा है।
हमारे संवाददाता से बात करते हुए हरदेव ने बताया कि मेरी पत्नी लिबगा देवी झारखंड की रहने वाली है। उसकी उम्र 35 वर्ष है। लिबगा देवी से मेरी शादी लगभग 8 साल पूर्व हुई थी। शादी के बाद मेरी पत्नी ने बेटी देवांशी को जन्म दिया। 
हरदेव ने आगे बताया कि मेरे माता-पिता का निधन हो चुका है और मैं उनकी एकलौती संतान था। मेरे माता-पिता के पास जो जमीन थी उसे कई साल पहले मेरे चचेरे भाई एवं चाचा ने दखलअंदाजी करके उसे पर कब्जा कर लिया जिसकी वजह से मुझे अपना घर छोड़ना पड़ा। बेघर होने पर मैंने अपनी पत्नी को उसके माता-पिता के घर भेज दिया और काम की तलाश में मैं बिहार से दिल्ली आ गया और यहां पर काम की तलाश की। एक दिन मुझे अपने गांव के एक जानकार का पता चला तो मैं उनके पास गया और अपनी परेशानी के बारे में उन्हें बताया तो उन्होंने मुझे अपने पास ही काम पर रख लिया। मैं अब लालकिले के सामने मार्केट में काम करता हूं और उसी से मेरा गुजर-बसर हो रहा है। जब मुझे काम मिल गया तो मैंने अपने जानकार की मदद से ही शास्त्री पार्क में एक किराये का मकान लिया और गांव से अपनी पत्नी लिबगा देवी और बेटी देवांशी को भी दिल्ली ले आया। हम कई वर्षों से शास्त्री पार्क में ही किराये के मकान में रह रहे हैं। मैं मार्केट में काम करके अपना गुजर-बसर कर रहा था कि इसी दौरान यह घटना घट गई है और इस घटना ने मुझे व मेरी बेटी को झकझोर कर रख दिया है। जब से मेरी पत्नी लापता हुई है तब से मेरी बेटी ने खाना पीना बंद की दिया है और मैं भी काम पर नहीं जा पा रहा हूं। मैं काफी परेशान हूं कि चार साल की बच्ची को किसके पास छोड़कर काम पर जाउं। मेरी पुलिस प्रशासन मदद नहीं कर रहा है।
 









 

Sunday 9 October 2022

राजनीति अखाड़े के खिलाड़ी मुलायम सिंह यादव मौत को नहीं दे सके पटखनी

मुलायम सिंह यादव

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के सरंक्षक मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया है. उन्होंने 82 साल की उम्र में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आज (10 अक्टूबर) सुबह 8:16 बजे आखिरी सांस ली. मुलायम सिंह यादव को 22 अगस्त को सांस लेने में तकलीफ और लो ब्लड प्रेशर की शिकायत के बाद मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था, हालांकि उनकी तबीयत में सुधार नहीं हो रहा था और 1 अक्टूबर की रात को आईसीयू में शिफ्ट किया गया था, जहां एक डॉक्टरो का पैनल उनका इलाज कर रहा था. 

मजाल नहीं जो उनकी गिरफ़्त से कोई अपने आपको छुड़ा ले---कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव की जवानी के दिनों में अगर उनका हाथ अपने प्रतिद्वंदी की कमर तक पहुँच जाता था, तो चाहे वो कितना ही लंबा या तगड़ा हो, उसकी मजाल नहीं थी कि वो अपने-आप को उनकी गिरफ़्त से छुड़ा ले.आज भी उनके गाँव के लोग उनके 'चर्खा दाँव' को नहीं भूले हैं, जब वो बिना अपने हाथों का इस्तेमाल किए हुए पहलवान को चारों ख़ाने चित कर देते थे.

मुलायम सिंह यादव के चचेरे भाई प्रोफ़ेसर राम गोपाल ने एक बार बीबीसी को बताया था, "अखाड़े में जब मुलायम की कुश्ती अपने अंतिम चरण में होती थी तो हम अपनी आंखें बंद कर लिया करते थे. हमारी आंखें तभी खुलती थीं जब भीड़ में से आवाज़ आती थी, 'हो गई, हो गई' और हमें लग जाता था कि हमारे भाई ने सामने के पहलवान को पटक दिया है." अध्यापक बनने के बाद मुलायम ने पहलवानी करनी पूरी तरह से छोड़ दी थी. लेकिन अपने जीवन के आख़िरी समय तक वो अपने गाँव सैफई में दंगलों का आयोजन कराते रहे.

जुलाई में पत्नी साधना गुप्ता का हुआ था निधन---इससे पहले मुलायम सिंह यादव की पत्नी साधना गुप्ता का इसी साल जुलाई में निधन हो गया था. फेफड़ों में संक्रमण के चलते उनका गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में इलाज के बाद निधन हुआ था. साधना मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी थीं. उनकी पहली पत्नी मालती देवी का 2003 में निधन हो गया था. मालती देवी अखिलेश यादव की मां थीं. 

1992 में की सपा की स्थापना---मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को हुआ था. पांच भाइयों में मुलायम तीसरे नंबर पर थे. मुलायम सिंह ने पहलवानी से अपना करियर शुरू किया. वह पेशे से अध्‍यापक रहे. उन्‍होंने कुछ समय तक इंटर कॉलेज में अध्‍यापन किया. पिता उन्‍हें पहलवान बनाना चाहते थे. फिर अपने राजनीतिक गुरु नत्‍थू सिंह को प्रभावित करने के बाद मुलायम सिंह यादव ने जसवंतनगर विधानसभा सीट से चुनावी अखाड़े से कदम रखा. वह 1982-1985 तक विधान परिषद के सदस्‍य रहे. 

लोहिया आंदोलन---लोहिया आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले मुलायम सिंह यादव ने चार अक्टूबर 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की. मुलायम सिंह यादव को राजनीति के अखाड़े का पहलवान कहा जाता था. वह प्रतिद्वंद्व‍ियों को चित करने के माहिर रहे. देश के सबसे बड़े सूबे उत्‍तर प्रदेश की राजनीति में उन्‍होंने वो ऊंचाई हासिल की जो किसी भी नेता के लिए सपना होता है.  उन्‍होंने तीन बार राज्‍य की कमान संभाली. वह देश के रक्षा मंत्री भी बने. उत्‍तर प्रदेश विधानसभा के वह आठ बार सदस्‍य रहे. 

मुलायम सिंह यादव के राजनीत‍िक कर‍ियर पर एक नजर...

साल 1967 में मुलायम सिंह पहली बार विधायक बने. इसके बाद 5 दिसंबर 1989 को पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. मुलायम ने अपना राजनीतिक अभियान जसवंतनगर विधानसभा सीट से शुरू किया. वह सोशलिस्ट पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से आगे बढ़े. 1967, 1974, 1977, 1985, 1989 में वह विधानसभा के सदस्य रहे.  मुलायम सिंह 1989, 1993 और 2003 में यूपी के सीएम रहे. वह लोकसभा के सदस्य भी रहे.

1996 के चुनाव में जीतकर वह पहली बार संसद पहुंचे. इसके बाद 1998 में वह जीत हासिल किए. 1999 के चुनाव में भी उनकी जीत का सिलसिला जा रही. 2004 में वह मैनपुरी से लोकसभा चुनाव जीते. 2014 में वह आजमगढ़ संसदीय सीट और मैनपुरी से चुनाव लड़े और दोनों जगह से ही जीत हासिल किए. सपा के इस दिग्गज नेता की जीत का सिलसिला 2019 के चुनाव में भी जारी रहा और मैनपुरी से जीतकर एक बार फिर संसद पहुंचे.

--मो. रियाज

अलौली प्रखंड के साहसी पंचायत के खानकाह फरीदिया जोगिया शरीफ में पूरी शानों-शौकत से निकाला गया जुलूस-ए-मोहम्मदी













दिलीप यादव
खगड़िया। अलौली प्रखंड के साहसी पंचायत के जोगिया शरीफ में मोहम्मद साहब के जन्मदिन पर जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाला गया। जिसकी अध्यक्षता खानकाह फरीदिया के गद्दी नशीन हजरत मौलाना बाबू सईदैन फरीदी ने की। इस मौके पर उन्होंने बताया कि पैगंबर-ए-इस्लाम मोहम्मद साहब की यौमे पैदाइश पर रविवार को जोगिया शरीफ में शान के साथ जुलूस-ए-मोहम्मदी निकला। जुलूस में काबा समेत अन्य झाकियां देखते ही बन रही थीं। लोग नात-ए-पाक सुनते हुए रसूले पाक की शान में कलाम पेश करते रहे। जुलूस देर शाम तक जोगिया गांव के विभिन्न मार्गों से होकर गुजरा। सुरक्षा के लिए जुलूस के साथ पुलिस भी तैनात थी।
रविवार को जिले में मोहम्मद साहब की यौमे पैदाइश पर लोगों ने खुशियों का इजहार किया। मदरसा समदिया महमूदिया नूरूल उलूम में मिलादे पाक की महफिल सजाई गई। इसमें दारूदे सलाम का नजराना पेश करने के बाद लोगों ने शानो-शौकत के साथ जोगिया शरीफ में जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाला। जोगिया शरीफ से निकले जुलूस में शामिल लोगों ने नबी की शान में कलाम पेश किए। जुलूस में मक्का व काबा की झांकी भी साथ चल रही थी। जोगिया से निकले सभी जुलूस बाबू सईदैन फरीदी की अगुवाई में शानो शौकत के साथ जुलूसे मोहम्मदी जोगिया गांव होते हुए हरिपुर बाजार पहुंचा।
मौलाना बाबू  सईदैन फरीदी ने बताया के हज़रत मुहम्मद साहब का जन्म स्थान मक्का है।
आपका नाम रखा मुहम्मद-हज़रत मुहम्मद साहब का नाम उनके दादा अब्दुल मुत्तलिब ने रखा था। जिसका अर्थ है "प्रशंसित"। मुहम्मद नाम अरब में नया था। मक्का के लोगों ने जब अब्दुल मुत्तलिब से नाम रखने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा ताकि सारे संसार में मेरे पोते की प्रशंसा की जाए।
लोग उनसे और क़रीब हो जाते : जैसे-जैसे हज़रत मुहम्मद साहब बड़े हुए उनकी ईमानदारी, नैतिकता और सौम्य प्रकृति ने उनको और प्रतिष्ठित कर दिया। वे हमेशा झगड़ों से अलग रहते और कभी भी अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं करते थे। अपने इन सिद्धांतों पर वे इतना दृढ़ थे कि मक्का के लोग उन्हें 'अल-अमीन' नाम से पुकारने लगे थे, जिसका अर्थ होता है 'एक भरोसेमंद व्यक्ति'। उनके प्रसिद्ध चचेरे भाई अली ने एक बार कहा था "जो लोग उनके पास आते, उनसे और क़रीब हो जाते ।"
बिलादते रसूल पर कुरान व हदीस के हवाले से एक जामे खिताब फरमाया। सुरक्षा के लिए अतिरिक्त पुलिस बल जुलूस के साथ लगाई गई थी। आमदे रसूल पर हर कोई खुशी मना रहा था। जुुलूस में बाबू सकलैन फरीदी ने पैगंबर ए इस्लाम के बारे में लोगों को समझाया।
इस दौरान जगह-जगह लंगर, सबील लोगों को बांटे जाते रहे। इस मौके पर मौलाना बाबू सालिक हुसैन फरीदी, बाबू सिबतैन फरीदी, अकरम, नावेद आलम,गुलफराज, चांद बाबू, फेदाए रसूल, हरमैन फरीदी, मौलाना मुस्तकीम फरीदी, बहराइन फरीदी, लईक नवाज,उमर अली, मुजम्मिल, साकिर हुसैन, मेराजुल हक, मौलाना जुल्फिकार फरीदी , हाफिज असद इमाम हरिपुर मस्जिद, फैजान अहमद, अबुशामा रजवी, मौलाना मुर्शिद रजवी, सजीम रजवी, शाह आलम, तौफीक फरीदी समेत बड़ी संख्या में अकीदतमंद मौजूद रहे।

Thursday 6 October 2022

खानकाह फरीदिया जोगिया शरीफ की अपील सौहार्दपूर्ण माहौल में मनाया जाएगा जश्न ईद मिलादुन्नबी

दिलीप यादव
खगड़िया (अलौली)। जश्ने ईद मिलादुन्नबी के सिलसिले में सहसी पंचायत के मरकजी खानकाह फरीदिया जोगिया शरीफ में बीती शाम गांव वाले के साथ बैठक हुई। इस दौरान जुलुस ए मोहम्मदी को लेकर चर्चा हुई बैठक का अध्यक्षता  खानकाह फरीदिया के सज्जादा नशीन हजरत बाबू मुहम्मद सईदैन फरीदी ने की। उन्होंने बताया कि जुलूस ए मोहम्मदी को अमन चैन आपसी भाईचारा के साथ बेहतर तरीके से निकलने पर चर्चा हुई, ईद मिलादुन्नबी कोरोना के कारण दो साल के बाद  ईद मिलादुन्नबी मनाने को लेकर सभी उत्साहित हैं।

जुलूस 9 अक्टूबर सुबह 9 बजे दरगाह शरीफ के मैदान से निकल कर जोगिया गांव होते हुए एलाश चौक फिर उसी रास्ते होते हुए नया टोला और हरिपुर बाजार तक जाएगी।
इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मोहम्मद के जन्मदिवस ईद मीलादुन्नबी के उपलक्ष्य में खानकाह फरीदिया जोगिया शरीफ की ओर से शुक्रवार की रात मिलाद कांफ्रेंस हुई।
अध्यक्षता हजरत बाबू सकलैन फरीदी ने की। उन्होंने कहा कि हजरत मोहम्मद का जन्मदिवस मनाने के साथ ही हमें अपने नबी की सीरत को खुद में उतारने की जरूरत है। वो अंधेरी दुनिया को इंसानियत की मशाल से रोशन करने के लिए आए थे। अल्लाह ने उन्हें मात्र मुसलमानों के लिए नहीं बल्कि संसार के हर जीव के लिए दयावान बना कर भेजा था। पटना बिहार से आए मुख्य वक्ता हजरत मौलाना सैयद इमाम उद्दीन हाशमी साहब ने कहा कि नबी जिस मिशन को लेकर दुनिया में आए थे उसे अपनी जिंदगी का हिस्सा बना कर दूसरों तक पहुंचना उनके लिए सच्ची मुहब्बत की निशानी है। हम दीन धर्म की बात जुबां से तो खूब करते हैं लेकिन धर्म के रास्ते से दूर भागते जा रहे हैं। ईद मिलादुन्नबी पर खुशी मनाने के बजाय नबी के नाम पर किसी भूखे के घर हफ्ते-दो हफ्ते का खाना पहुंचा दें। किसी गरीब मरीज की दवा करा दें। दो-चार लोग मिलकर किसी गरीब के ऑपरेशन का खर्चा उठा लें। अनाथ व बेसहारा बच्चे को गोद ले लें। किसी गरीब बेटी या बेटे की शादी करा दें। समापन खानकाह फरीदिया के सज्जादा नशीन की दुआ से हुआ।
बाबू मुहम्मद सिबतैन फरीदी, बाबू हरमैन फरीदी, बाबू जुन्नुराइन फरीदी, बाबू बहराइन फरीदी,बाबू नुरुल एन फरीदी, बाबू फेदाए रसूल फरीदी, बाबू तौफीक फरीदी, नवैद आलम, अरबाज ,फैजान अहमद , मुहम्मद साकिर , मुहम्मद जुलफक्कर , मौलाना मुस्तकीम फरीदी , हाफिज शकील अशरफी , गुलाम अहमद रजा , अकबर , मुखिया नौशाद सरपंच सिराज उद्दीन , समेति इसरारूल हक,मास्टर चांद बाबू, उमर अली, मकसूद अहमद,मोहम्मद आजाद,साकिर मिस्त्री, वार्ड पार्षद मोहम्मद साहिर प्रतिनिधि मुशर्फ ,मेराजुल हक , गुलफराज आदि लोग मौजूद थे।













27-06-2023 To 03-07-2023(16.07)